ताल में जल की शैय्या पर बैठी अकेली सोच रही थी कमलिनी धर हथेली गाल पे ! ताल में जल की शैय्या पर बैठी अकेली सोच रही थी कमलिनी धर हथेली गाल पे !
समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इंगित करती है। समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इ...
जमीं पे बिखरे फूल पेड़ो की छांव में दोस्ताना हेल्लो हाय और फ़ाइन यू आर माई वेलेंट जमीं पे बिखरे फूल पेड़ो की छांव में दोस्ताना हेल्लो हाय और फ़ाइन य...
बर्फ की चादर में सिमटा हुआ वो खूबसूरत नजारा, सुंदर फूलों से घिरी पगडंडियां हमें करती बर्फ की चादर में सिमटा हुआ वो खूबसूरत नजारा, सुंदर फूलों से घिरी पगडंडियां ह...
रब ने भी हँस के कहा तू भी तो मूरत है मेरी रब ने भी हँस के कहा तू भी तो मूरत है मेरी
जलती कली पीया से मिलन लागे, जलती कली पीया से मिलन लागे ! जलती कली पीया से मिलन लागे, जलती कली पीया से मिलन लागे !